महाराष्ट्र के औरंगाबाद में 16 प्रवासी मजदूरों की मालगाड़ी की चपेट में आकर मौत हो गई, वहीं पांच लोग घायल हो गए हैं। सुबह साढे पांच बजे हुए इस हादसे में घायलों को सिविल अस्पताल पहुंचाया गया है। पटरियों की हालत देखो तो यहां मरने वालों की गठरियां फैली हैं और कुछ सूखी रोटियां, जो इनकी पैदल चलने की मजबूरी को बता रही है। उनके रोते बच्चे किसी संवेदना का इंतजार कर रहे हैं। दरअसल ये मजदूर औरंगाबाद के जालना की एक स्टील फैक्टरी में काम करते थे। उन्हें खबर मिली थी कि भुसावल से उन्हें उनके घर जाने के लिए ट्रेन मिल सकती है। इसी लिए वो पैदल ही चल पड़े अपने घर तक पहुंचने की उम्मीद लिए। ये सभी प्रवासी मजदूर मध्यप्रदेश के बताए जा रहे हैं। लोको पायलट का कहना है कि सुबह साढे पांच बजे मालगाड़ी जब परभनी-मनमाड रेल सेक्शन पर बदनापुर और कर्माड रेलवे स्टेशन के बीच पहुंची तो उसे पटरियों पर मजदूर सोते दिखाई दिए। उसने मालगाड़ी को रोकने की कोशिश की, तब तक मजदूर चपेट में आ चुके थे। अब साउथ-सेंट्रल ज़ोन के रेलवे सेफ़्टी कमिश्नर राम कृपाल ने कहा है कि इस रेल दुर्घटना की स्वतंत्र जांच करेंगे। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर हादसे पर दुख जताया है। उन्होंने लिखा कि “महाराष्ट्र के औरंगाबाद में हुई रेल दुर्घटना में लोगों मौत दुखद है। हादसे के बारे में रेल मंत्री पीयूष गोयल से बात हुई है। मजदूरों के परिवार को हर संभव मदद मुहैया कराई जाएगी।
मदद की बात करें तो सरकार ट्रेन या बसों में यात्रियों को भेजने के जितने कागजात मांग रही है, वो भी मजदूरों के लिए संभव नहीं। खासकर जिन कारखानों या फैक्ट्रियों में काम कर रहे थे, उनका अनुमति पत्र। मजदूरों का कहना है कि मालिक पैसा नहीं दे रहे और ना ही अनुमति पत्र देने को राजी हैं। उनका कहना है कि लॉकडाउन खुल जाता है तो फिर कारखानों में काम कौन करेगा? वे नहीं चाहते कि मजदूर अपने घरों को लौटे और मजदूर वहां रह सके, इसके लिए मजदूरों के पास ना पैसा बचा है और ना ही पर्याप्त मदद उन्हें मिल पा रही है कि खुद का और परिवार का पेट भर सकें। किसी की दी हुई कुछ रोटियां उन्होंने गठरी में बांधी और चल पड़े थे अपने गांव की ओर जाने वाली पटरियों की ओर। अब वो रोटियां उन पटरियों के पास बिखरी पड़ी हैं। शायद सरकारें उनकी ओर देख कभी समझ पाएं कि यह पलायन कितना तकलीफदेह है।
User_TASNEEM